how extreme heat affects breathing and lungs health सांस के रोगियों की परेशानी गर्मियों में भी बढ़ सकती है, जबकि सर्दियों भी बुरी होती है। पोलेन बैक्टीरियल फंगस और डस्ट एलर्जी गर्मियों में बढ़ सकते हैं, जो अस्थमा के मरीजों को परेशान कर सकते हैं। यह मौसम आपके फेफड़ों को कई तरीकों से नुकसान पहुंचा सकता है। इसके बावजूद, कुछ आवश्यक उपायों की मदद से आप स्वस्थ रह सकते हैं।
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जीवन शैली डेस्क, नई दिल्ली। यदि आपको स्मोकिंग की लत है या अस्थमा जैसी सांस से जुड़ी कोई बीमारी है, तो आपको बता दें कि गर्मी से होने वाली समस्याओं का खतरा अधिक है। तापमान बढ़ने से हवा रूक जाती है, जिससे चलते हुए प्रदूषक तत्व हवा में फंस जाते हैं, जिससे अस्थमा हो सकता है। अस्थमा के मरीजों को गर्मी और गर्मियों में सबसे अधिक मुसीबत हो सकती है। इस समय रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन का खतरा अधिक है। शरीर की मेटाबॉलिक दर बढ़ने लगती है। इसलिए फेफड़ों पर भारी बोझ आता है। बहुत ठंडी या गर्मी सांस की नलियों को सूज देती है। यह नलियां अत्यधिक गर्म होकर
इन बातों का लंग पेशेंट्स ध्यान रखें
- CPOC (chronic obstructive pulmonary disease) के मरीज डॉक्टर की सलाह लेकर इन्फ्लूएंजा या नीमोकोकल वैक्सीन का उपयोग करें।
- जहां भी रहें, शरीर को एक समान तापमान पर रखें।
- सुबह 10 बजे से शाम 4 बजे तक तेज धूप में बाहर न निकलें।
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ऐसे करें बचाव
- आपको पर्याप्त मात्रा में पानी पीना चाहिए। ओआरएस (ORS), फलों का जूस और नारियल पानी को पानी के साथ भी लें।
- योग करने के लिए कुछ समय जरूर निकालें। ज्यादा थकाने वाली व्यायाम करने से बचें।
- तुरंत एसी (AC) से बाहर निकलकर तेज धूप में जाने से बचें।
- वॉकिंग आपको फिट रहने में मदद करता है।
- वायरल संक्रमण होने पर मास्क पहनकर रहें।
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